Student Blog Published on 2025-11-25 अंशिका शर्मा। 12 ‘A’ थी हँसी नकली चेहरे। हर गली में 100 बहाने। सच कहूँ तो डर लगे है। रिश्ते भी है सिर्फ दिखाने। बातें बड़ी जज्बात, छोटे। सब यहाँ मतलब के यार। दर्द कोई चिल्ला के रोए। पर किसी को ना हो खबर। नीतिकी बातें करने वाले। खुद ही तोड़े हर एक नियम। दूसरों को राह दिखाते। खुद भटकती, हर दिन हर दम। इंसानियत बस किताबों में है। दिलों में तो बस स्वार्थ भरा। सपनों को कुचलते देखा है। दौलत को बढ़ते दिखा। इस समाज की इस सच्चाई से। दिल कई बार रो जाता है। नहीं, कोई खड़ा न होता। हर जुबां बस चुप रह जाता है।